प्यारे बच्चों अकबर बीरबल की कहानियां हमारे मन को खुश कर देती हैं । आज हम अकबर और बीरबल की पहली मुलाकात(Akbar aur Birbal ki pahli mulakat) कैसे हुई इसके बारे में सुनेंगे ।बादशाह अकबर को शिकार का बहुत शौक था। जब भी कभी उन्हें राजकार्य से फुर्सत मिलती,वे शिकार पर निकल जाते । अकबर घुड़सवारी और युद्धकला में निपुण था । यह सब उसने अपने गुरु बैरम खान से सीखा था । अकबर अपने समय के बहुत ही अच्छे घुड़सवार और शिकारी भी कहलाये।
एक बार राजा अकबर अपने सिपाहियों के एक दल के साथ शिकार के लिए निकला, घोड़े पर तेज दौड़ते हुए उन्हें पता ही नहीं चला कि कब केवल कुछ सिपाहियों को छोड़ कर बाकी सेना पीछे रह गई। अंधेरा होने को आया, सभी भूखे और प्यासे थे । उन्हें रास्ता समझ नहीं आ रहा था कि किस और जाया जाए ।
कुछ दूर जाने पर उन्हें दो रास्ते नजर आए दोनों ही जंगल की ओर जाने वाले रास्ते लग रहे थे,जबकि एक रास्ता राजधानी का था । राजा को डर था कि कहीं ऐसा न हो कि फिर से जंगल में घुस जाए । अब तो रात भी होने को है खाने पीने के साधन भी पीछे छूट गए हैं । राजा उलझन में थे। वे सभी सोच में थे किंतु कोई युक्ति नहीं सूझ रही थी तभी उन्होंने देखा कि एक लड़का उन्हें सड़क के किनारे लकड़ियां तोड़ रहा था ।
राजा ने सैनिकों को उसे बुलाने भेजा । सैनिकों ने उस लड़के को राजा के सामने पेश किया। राजा ने कड़कती आवाज़ में पूछा, “ऐ लड़के, आगरा के लिए कौन सी सड़क जाती है”? लड़का हंसते हुए बोला “जनाब, ये सड़क चल नहीं सकती तो ये आगरा कैसे जायेगी”। महाराज जाना तो आपको ही पड़ेगा और यह कहकर वह खिलखिलाकर हंस पड़ा।
राजा मौन रहा और सैनिकों के चेहरे देख कर लड़का समझ गया कि सैनिकों को उसका मजाक पसंद नहीं आया । लड़का फ़िर बोला, “जनाब, लोग चलते हैं, रास्ते नहीं।”यह सुनकर इस बार राजा मुस्कुराया और कहा, “तुम ठीक कह रहे हो। तुम्हारी हाजिर जवाबी मुझे पसंद आई,क्या नाम है तुम्हारा ?”, अकबर ने पूछा।”मेरा नाम महेश दास है महाराज”, लड़के ने उत्तर दिया।
अकबर ने महेश दास को कहा, “मैं हिन्दुस्तान का बादशाह अकबर हूं ।” लड़के ने परिचय सुनकर बड़ी खुशी जाहिर की । राजा और सैनिकों को अपने गांव ले जाकर उनकी आवभगत की । महेशदास से अलग अलग किस्से सुन सुन कर राजा और सिपाहियों की दिन भर की थकान भी दूर जाती रही ।
भूख,प्यास और थकान तीनों दूर होने के बाद अकबर राजधानी जाने के लिए घोड़े पर चढ़ा और अपनी अंगूठी निकाल कर बोला “मुझे बुद्धिमान और सरल लोग पसंद हैं। तुम मेरे दरबार में आना और मुझे ये अंगूठी दिखाना। ये अंगूठी देख कर मैं तुम्हें पहचान लूंगा।”
अब तुम हमें बताओ कि आगरा कौनसा रास्ता जाता है ? महेश दास ने सिर झुका कर उन्हें आगरा का रास्ता बताया ।यही लड़का आगे चल कर बीरबल के नाम से मशहूर हुआ।
राजा मौन रहा और सैनिकों के चेहरे देख कर लड़का समझ गया कि सैनिकों को उसका मजाक पसंद नहीं आया । लड़का फ़िर बोला, “जनाब, लोग चलते हैं, रास्ते नहीं।”यह सुनकर इस बार राजा मुस्कुराया और कहा, “तुम ठीक कह रहे हो। तुम्हारी हाजिर जवाबी मुझे पसंद आई,क्या नाम है तुम्हारा ?”, अकबर ने पूछा।”मेरा नाम महेश दास है महाराज”, लड़के ने उत्तर दिया।
अकबर ने महेश दास को कहा, “मैं हिन्दुस्तान का बादशाह अकबर हूं ।” लड़के ने परिचय सुनकर बड़ी खुशी जाहिर की । राजा और सैनिकों को अपने गांव ले जाकर उनकी आवभगत की । महेशदास से अलग अलग किस्से सुन सुन कर राजा और सिपाहियों की दिन भर की थकान भी दूर जाती रही ।
भूख,प्यास और थकान तीनों दूर होने के बाद अकबर राजधानी जाने के लिए घोड़े पर चढ़ा और अपनी अंगूठी निकाल कर बोला “मुझे बुद्धिमान और सरल लोग पसंद हैं। तुम मेरे दरबार में आना और मुझे ये अंगूठी दिखाना। ये अंगूठी देख कर मैं तुम्हें पहचान लूंगा।”
अब तुम हमें बताओ कि आगरा कौनसा रास्ता जाता है ? महेश दास ने सिर झुका कर उन्हें आगरा का रास्ता बताया ।यही लड़का आगे चल कर बीरबल के नाम से मशहूर हुआ।
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