Story for kids in hindi – एक बार गर्मियों के दिनों में एक मधुमक्खी पानी ढूंढ रही थी। कुछ देर इधर-उधर घूमने के बाद वह एक झरने के पास पहुंची। बड़ी मुश्किल उसे पानी मिलने पर वह जल्दी से पानी की ओर बढ़ी लेकिन थकी होने के कारण वह अपने आप पर काबू नहीं रख सकी और पानी में गिरकर बहने लगी और घबरा कर पानी में छटपटाने लगी ।
पास के पेड़ पर बैठे कबूतर ने उसे देख लिया । कबूतर ने महसूस किया कि मधुमक्खी पानी में बहकर डूब सकती है । मधुमक्खी को मुसीबत में देखकर कबूतर ने जल्दी से एक पेड़ का पत्ता तोड़ा और उसे संघर्ष कर रही मधुमक्खी के पास पानी में गिरा दिया । मधुमक्खी उस पर चढ़ गई। जल्द ही वह सुरक्षित रूप से सूखी जमीन पर आ गई ।
ठीक उसी समय एक शिकारी, कबूतर को मारने के लिए धनुष और तीर लेकर आया । यह अनुमान लगाते हुए कि वह क्या करने वाला था, मधुमक्खी ने कबूतर पर निशाना साधते हुए शिकारी की गर्दन पर काट लिया। दर्द महसूस करते हुए शिकारी जोर से चिल्लाया और उसका निशाना चूक गया । चिल्लाने की आवाज सुनकर कबूतर खतरा भांप गया और उड़ गया । कबूतर की भी जान बच गई । इस तरह से दोनों ने एक दूसरे की जान बचाई ।
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एक बार एक पुजारी था वह एक गांव से दूसरे गांव धर्म संदेश देने जाता था । सब ओर उसकी प्रशंसा थी । वह बहुत ही भोला और दयालु था तथा ईश्वर में मग्न रहने वाला व्यक्ति था । एक दिन जब वह जंगल से गुजर रहा था तो अचानक उसे एक शेर की दहाड़ सुनी । वह डर गया लेकिन जैसे ही वह आगे बढ़ा,झाड़ियों के बीच उसे पिंजरे में कैद एक शेर दिखाई दिया । वह झाड़ियों से आगे बढ़ता हुआ पिंजरे तक पहुंचा । पिंजरे में कैद शेर ने जैसे ही पुजारी को देखा तो उसने बड़ी दयनीय शक्ल बना कर पुजारी से उसे पिंजरे से बाहर निकालने की प्रार्थना की ।
पुजारी के मना करने पर शेर बोला “यदि आप मुझे पिंजरे से बाहर नहीं निकलोगे तो निश्चित ही शिकारी मुझे मार डालेंगे ।” यह बात सुनकर पुजारी को दया आ गई और उसने शेर का पिंजरा खोल दिया । शेर ने आजाद होते ही सोचा कि वह भूखा है और पुजारी के शिकार में उसे मेहनत नहीं करनी पड़ेगी , ऐसा सोच शेर पुजारी पर घुर्राया और मरने के लिए तैयार होने का कहा । पुजारी घबरा गया और बोला “मैंने तुम्हारी जान बचाई और तुम मुझे ही खाना चाहते हो ।”
शेर कुछ भी सुनने को तैयार नहीं था और हमला करने ही वाला था कि तभी एक बंदर वहां आ गया । पुजारी ने अपने साथ हुए धोखे का विवरण बंदर को सुनाया और उसे न्याय करने की कही । बंदर बोला “पुजारी महाराज आपकी कहानी झूठी हैं इसलिए आपको तो मरना ही होगा ।”
शेर बंदर की बात सुन खुश हुआ । बंदर ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा “कहां ये शेर और कहां ये पिंजरा ! यह शेर इस पिंजरे से बहुत बड़ा है और इसमें नहीं आ सकता ।” इस पर शेर ने कहा “नहीं नहीं ये पुजारी इतना तो सत्य कह रहा है कि मैं इस पिंजरे में था” यह कह कर उसने पिंजरे में घुस कर दिखाया । जैसे ही शेर पिंजरे में घुसा तुरंत ही बंदर ने पिंजरा फिर से बंद कर दिया और बोला “भागो पुजारी महाराज इससे पहले कि फिर से शेर पिंजरे से बाहर आ जाए।”। पुजारी ने बंदर को धन्यवाद देते हुए वहां से दौड़ लगाई और बंदर भी एक पेड़ से दूसरे पेड़ उछलता हुआ वहां से चला गया ।
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शेर और चूहे की कहानी
एक समय की बात है। वहाँ एक शेर और एक चूहा जंगल में रहते थे। एक दिन शेर सो रहा था। चूहा उस पर कूदा और खेलने लगा। सोते हुए शेर की नींद खुल गई और वह गुस्से से भर गया । उसने चूहे को पकड़ लिया और मारने ही जा रहा था कि चूहे ने माफ़ी मांगी और बोला “मुझे मत मारो, हे जंगल के राजा मैं किसी दिन आपके काम आवुंगा।” चूहे की बात सुनकर शेर को हंसी आ गई और उसने कहा “एक चूहा शेर के क्या काम आएगा ?” लेकिन शेर को उस पर दया आ गई और उसने चूहे को जाने दिया । कुछ दिन बाद जंगल में एक शिकारी आया उसने शेर को पकड़ने के लिए जाल बिछाया । शेर जाल में फँस गया। वह मदद के लिए चिल्लाया । शेर की आवाज सुनकर चूहा वहां पहुंचा उसने शेर को जाल में फंसा पाया । चूहे ने अपने दाँतों से जाल काट दिया। शेर आज़ाद हो गया और उसने चूहे को धन्यवाद दिया।