Akshaya Tritiya इस बार 10 मई को मनाई जा रही है।अक्षय तृतीया, जिसे अक्ति या आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है, यह एक भारतीय त्यौहार है जो वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीय चंद्र दिवस (तिथि) को मनाया जाता है। ‘अक्षय’ नाम का अर्थ है ‘कभी न घटने वाला’ और ऐसा माना जाता है कि इस त्यौहार पर सोना खरीदने से अनंत धन की प्राप्ति होती है।
अक्षय तृतीया 2024 पर सोना खरीदने का सबसे अच्छा समय क्या है?
भारतीय संस्कृति में धन और पवित्रता के प्रतीक के रूप में सोने का महत्व है। माना जाता है कि अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने से आशीर्वाद मिलता है और असीम समृद्धि का प्रतीक है। 2024 में अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने का सबसे अच्छा समय 10 मई, 2024 को सुबह 05:33 बजे से 11 मई, 2024 को सुबह 02:50 बजे तक है।
अक्षय तृतीया 2024 कब है?
अक्षय तृतीया दिनांक 10 मई, 2024 को सुबह 04:17 बजे शुरू होगी और 11 मई, 2024 को सुबह 02:50 बजे समाप्त होगी। अक्षय तृतीया पूजा का मुहूर्त सुबह 05:33 बजे से दोपहर 12:18 बजे तक है।
आपके शहर में अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त –
Pune: 06:03 AM to 12:31 PM
New Delhi: 05:33 AM to 12:18 PM
Chennai: 05:45 AM to 12:06 PM
Jaipur: 05:42 AM to 12:23 PM
Hyderabad: 05:46 AM to 12:13 PM
Gurgaon: 05:34 AM to 12:18 PM
Chandigarh: 05:31 AM to 12:20 PM
Kolkata: 04:59 AM to 11:33 AM
Mumbai: 06:06 AM to 12:35 PM
Bengaluru: 05:56 AM to 12:16 PM
Ahmedabad: 06:01 AM to 12:36 PM
Noida: 05:33 AM to 12:17 PM
अक्षय तृतीया 2024 का महत्वअक्षय तृतीया का अर्थ है –
निरंतर समृद्धि और प्रचुरता। यह शुभ दिन अनंत सफलता और सौभाग्य से जुड़ा है। ‘अक्षय’ शब्द शाश्वत आशीर्वाद का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि ‘तृतीया’ शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन को दर्शाता है। यह नई शुरुआत का समय है, चाहे व्यवसाय शुरू करना हो, नई नौकरी करनी हो या धार्मिक अनुष्ठान करना हो। अक्षय तृतीया के दिन लक्ष्मी जी और विष्णुजी की पूजा की जाती है ।
अक्षय तृतीया क्यों मनाया जाता है –
अक्षय तृतीया के बारे में सबसे प्रचलित कहानी द्वापर युग की है कहा जाता है कि वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तिथि कहा गया है। जिसका अर्थ है “कभी क्षय ना हो” और जो सदैव स्थायी रहे। हर शुभ काम की शुरुआत के लिए यह खास दिन सबसे खास माना गया है। महाभारत के मुताबिक इसी दिन सूर्य देवता ने युधिष्ठिर को अक्षय पात्र दिया था, जिसमें से अन्न कभी खत्म नहीं होता था।
दूसरा कारण है कि भगवान परशुरामजी का जन्म अक्षय तृतीया को हुआ था। परशुरामजी चिरंजीवी हैं। उनकी आयु का क्षय नहीं होता है इसलिए इस तिथि को चिरंजीवी तिथि भी कहा जाता है। इस दिन त्रेतायुग की शुरुआत होने के कारण इसे युगादि तिथि कहा जाता है अतः नई शुरुआत का अबूझ मुहूर्त कहा जाता है।
तीसरा कारण जो इस तिथि को महत्वपूर्ण बनाता है वह है कि कुबेर ने शिवपुरम में भगवान शिव की पूजा करके इसी दिन समृद्धि वापस पाई थी। इसे उत्तरायण की दिवाली भी कहा जाता है। अक्षय तृतीया पर लक्ष्मी जी की आराधना से अक्षय लक्ष्मी मिलती है और जीवनभर पैसों की कमी नहीं रहती। आर्थिक उन्नति पाने और कर्ज से छुटकारे के लिए अक्षय तृतीया पर देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है।
अतः पुराणों के मुताबिक अक्षय तृतीया सौभाग्य और सफलता देने वाला पर्व है। इस दिन नए काम की शुरुआत करें, सोना खरीदने,धान खरीदें और तो और जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए प्रायश्चित करने का विधान भी ग्रंथों में बताया गया है जिससे आपके हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं।