3 Rupees challenge : अकबर और बीरबल की कहानी बड़ी ही रोचक और मजेदार होती हैं । ऐसी ही कहानी है “तीन रूपयों की चुनौती” । एक बार बीरबल किसी कार्य से शहर से बाहर गए हुए थे और उनके दरबार में उपस्थित न होने से बादशाह अकबर दरबार में कोई विशेष दिलचस्पी नहीं ले रहे थे । बीरबल के अनुपस्थिति में जो दरबारी बीरबल से जलते थे, वह इस बात का फायदा उठाना चाहते थे । उनमें से एक दरबारी बकरुद्दीन बोला “बादशाह आज आप बड़े नाखुश नजर आ रहे हैं यदि आपको कोई जरूरत है तो हमें बताइए ।” बादशाह अकबर बोले “नहीं– नहीं ऐसा कुछ नहीं है बस कुछ काम था जो बीरबल के आने पर ही पूरा हो सकता है इसलिए मेरा ध्यान उस ओर था। इस पर बकरुद्दीन बोला “यही तो मैं कहना चाहता हूं कि आप बीरबल पर इतना आश्रित ना रहे, आपके दरबार में और भी बहुत काबिल लोग हैं, जिन्हें आप मौका देकर देख सकते हैं और वे शायद बीरबल से ज्यादा काम के निकले ।”
बादशाह अकबर इससे पहले भी कई बार परीक्षण कर चुके थे और वह इस बात के लिए आश्वस्त थे कि बीरबल से बेहतर कोई नहीं है लेकिन दरबारी की हिम्मत देखकर वे मन ही मन खुश हुए और उन्होंने उसकी परीक्षा लेने का सोचा ।” बादशाह बोले “तो क्या मैं तुम्हें कोई काम कहूंगा तो तुम वह कर सकोगे ? बकरुद्दीन बोला “आप मुझे मौका देकर तो देखिए मैं निश्चित ही बीरबल से बेहतर कर दिखाऊंगा ।” बादशाह ने बखरुद्दीन की बात सुनकर अपने जेब से तीन सिक्के निकाले और बोले “जाओ यह तीन सिक्के लेकर जाओ और बाजार से तीन चीज लेकर आओ, इनमें से एक यहां की हो ,दूसरी वहां की हो और तीसरी ना यहां की हो और ना वहां की !अब हाथ में तीन सिक्के और महाराज द्वारा बताई गई चीज के बारे में सुनकर बकरुद्दीन के होश उड़ गए लेकिन मरता क्या ना करता, जब उसने खुद ही महाराज से आग्रह करके काम देने का कहा था तो मना भी नहीं कर सकता ।
वह बाजार की ओर गया,वहां एक दुकान पर खड़ा होकर बोला भैया 3 रूपये लो और मुझे एक यहां की चीज, एक वहां की चीज और एक चीज जो ना यहां की हो ना वहां की, दे दो । दुकान वाला उसकी यह बात सुनकर चकरा गया और बोला “इस दुकान पर तुम्हें यहां और वहां की कोई चीज नहीं मिलेगी । कहीं और पता करो ।” दुकान वाला उसे पागल समझने लगा । अब बकरुद्दीन पुर बाजार में दुकान दर दुकान घूम-घूम कर बादशाह द्वारा बताइए चीज मांगने लगा लेकिन उसे किसी ने कुछ नहीं दिया ।
अगले दिन बकरुद्दीन हारकर दरबार पहुंचा तो वहां बीरबल भी आ पहुंचे थे । बकरुद्दीन ने बादशाह के आगे हार मानी और बोला “जहांपनाह आपने जो चीज मांगी है, वह बहुत कठिन है । मेरे विचार में दुनिया में कोई भी इस पहेली को समझा नहीं सकता ।” अकबर ने बीरबल की ओर देखते हुए कहा “बीरबल अब मैं तुम्हें 3 रूपए देता हूं और तुम्हें एक 1 रुपया हर चीज पर खर्च करना है जिसमें से एक यहां की चीज हो,एक वहां की चीज हो और एक चीज ना यहां की हो, ना वहां की हो । सुनते ही बीरबल के भी होश उड़ गए पर कुछ ना बोला और चुपचाप तीन रुपए लेकर दरबार से चला गया ।
बीरबल को कुछ समझ नहीं आ रहा था लेकिन घर जाते वक्त उसे कुछ मिठाई लेकर जाना था तो वह एक दुकान पर जाकर खड़ा हो गया । बीरबल को देखकर मिठाई वाला बड़ा खुश हुआ और बोला “आइए मंत्री जी आपके लिए खास यहां की मिठाई पेश करता हूं खाते ही आनंद आ जाएगा ।” बीरबल का दिमाग राजा के सवालों के उत्तर में ही लगा था और उसे एक पल भी ना लगी, यह बात समझने में । उसे पहला उत्तर मिल गया और उसने मिठाई (यहां की चीज)खरीद ली।
इसके बाद भी बीरबल को एक भिखारी मिला और बोला “मेरी सहायता कीजिए, ईश्वर आपको आशीर्वाद देगा ।” बीरबल ने भिखारी को तुरंत 1 रुपया दे दिया और खुशी से उछल उठा क्योंकि इस रुपए से उसने वहां (भगवान के घर) की चीज ले ली थी । खुशी से उछलते ही उसके हाथ से अंतिम बचा सिक्का उछल गया और सड़क के किनारे जुए का खेल दिखाते व्यक्ति के पास गिर पड़ा ।
जुआरी ने सिक्के को अपने हाथ में लिया और बीरबल को कहा “यदि आप बता पाए कि सिक्का किस हाथ में है तो मैं आपको पांच सिक्के दूंगा । बीरबल ने जुआरी को अपने सीधे हाथ में सिक्का डालते देखा था तो लालच में आकर उसने तपाक से उस हाथ की ओर इशारा किया । जुआरी अपना सीधा हाथ खाली दिखाते हुए बोला ” आप हार गए सिक्का तो मेरे उलटे हाथ में है ” बीरबल खूब हंसे क्योंकि जुआरी की चालाकी से सिक्का तो चला गया पर तीसरी चीज भी मिल गई थी ।
अगले दिन बीरबल दरबार में गया और बोला “महाराज आपके तीनों सिक्के में खर्च कर आया । पहले सिक्के से यह मिठाई जो यहां की है, दूसरे सिक्के से भिखारी से भगवान का आर्शीवाद पाया जो वहां ! यानी स्वर्ग में मेरे काम आएगा और तीसरा सिक्का जुए में हार आया, जो न यहां और न वहां मेरे काम आएगा । उत्तर सुनते ही सभी दरबारी हंस पड़े और बीरबल की बुद्धि की तारीफ करने लगे । बादशाह भी सभी दरबारियों को यह बताने में सफल हुए कि क्यों वह बीरबल को सबसे ज्यादा पसंद करते हैं ।
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