शूर्पणखा की नाक
शूर्पणखा की घटना रामायण के एक महत्वपूर्ण अध्याय का हिस्सा है, जो भगवान राम, लक्ष्मण और रावण के बीच संघर्ष की शुरुआत का कारण बनी। यह घटना न केवल रामायण की कथा को आगे बढ़ाती है, बल्कि इसमें कई नैतिक और सामाजिक संदेश भी छिपे हुए हैं।
शूर्पणखा का परिचय
शूर्पणखा रावण की बहन और विश्रवा ऋषि व कैकसी की पुत्री थी। वह एक राक्षसी थी और लंका के राजा रावण की छोटी बहन थी। उसका नाम “शूर्पणखा” इसलिए पड़ा क्योंकि उसके नाखून सूप (शूर्प) की तरह बड़े और नुकीले थे। वह अपने भाइयों, रावण और कुम्भकर्ण, के साथ लंका में रहती थी।
शूर्पणखा का राम और लक्ष्मण से मिलना
जब भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण के साथ वनवास पर थे, तो वे पंचवटी (वर्तमान में नासिक के पास) में ठहरे हुए थे। शूर्पणखा उसी वन में घूम रही थी और उसकी नजर राम पर पड़ी। राम के सुंदर रूप और तेज से वह मोहित हो गई।
शूर्पणखा ने राम के सामने प्रस्ताव रखा कि वह उसके साथ विवाह कर ले और उसके साथ रहने लगे। उसने यह भी कहा कि वह सीता को खा जाएगी और राम के साथ सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करेगी।
राम का जवाब और शूर्पणखा का लक्ष्मण की ओर रुख
राम ने शूर्पणखा के प्रस्ताव को मजाक में उड़ाते हुए कहा कि वह पहले से विवाहित हैं और उनके साथ उनके छोटे भाई लक्ष्मण हैं, जो अविवाहित हैं। राम ने शूर्पणखा को लक्ष्मण के पास जाने का सुझाव दिया।
शूर्पणखा लक्ष्मण के पास गई और उनसे विवाह का प्रस्ताव रखा। लक्ष्मण ने भी मजाक में कहा कि वह तो राम के सेवक हैं और उन्हें शूर्पणखा जैसी राक्षसी के साथ विवाह करने में कोई दिलचस्पी नहीं है।

लक्ष्मण ने काटी शूर्पणखा की नाक
शूर्पणखा का क्रोध और लक्ष्मण का प्रतिकार
शूर्पणखा को लगा कि राम और लक्ष्मण उसका मजाक उड़ा रहे हैं। इससे वह क्रोधित हो गई और उसने सीता पर हमला करने की कोशिश की। यह देखकर लक्ष्मण ने तुरंत अपनी तलवार निकाली और शूर्पणखा की नाक और कान काट दिए।
शूर्पणखा चीखती-चिल्लाती हुई वहां से भाग गई। उसका रूप विकृत हो चुका था, और वह अपने भाई खर और दूषण के पास गई, जो उसी वन में रहते थे।
खर और दूषण का युद्ध
शूर्पणखा की नाक काटने की बात उसने अपने भाइयों को बताया । राम और लक्ष्मण के बारे में पूरी जानकारी दी और उनसे बदला लेने की गुहार लगाई। खर और दूषण ने अपनी सेना के साथ राम और लक्ष्मण पर हमला कर दिया।
राम और लक्ष्मण ने खर और दूषण की पूरी सेना का सफाया कर दिया और दोनों भाइयों को युद्ध में मार डाला। यह घटना राम और रावण के बीच संघर्ष की शुरुआत का कारण बनी।
शूर्पणखा का लंका जाना और रावण को उकसाना
शूर्पणखा ने जब देखा कि उसके भाई मारे गए हैं, तो वह सीधे लंका पहुंची और रावण को सारी घटना सुनाई। उसने रावण ने पाया कि राम और लक्ष्मण ने शूर्पणखा की नाक काटी और उसके भाइयों को भी मार डाला है।
शूर्पणखा ने रावण को सीता की सुंदरता के बारे में भी बताया और उसे उकसाया कि वह सीता का हरण कर ले। रावण ने शूर्पणखा की बात मानी और सीता का हरण करने की योजना बनाई।
घटना का महत्व
- राम-रावण संघर्ष की शुरुआत: शूर्पणखा की घटना ने राम और रावण के बीच युद्ध की नींव रखी।
- नैतिक संदेश: यह घटना हमें सिखाती है कि अहंकार और क्रोध व्यक्ति को विनाश की ओर ले जाते हैं।
- स्त्री का सम्मान: राम और लक्ष्मण ने शूर्पणखा को दंड दिया, लेकिन उसका सम्मान बनाए रखा।
निष्कर्ष
शूर्पणखा की घटना रामायण की कथा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो न केवल कथा को आगे बढ़ाती है, बल्कि हमें जीवन के महत्वपूर्ण सबक भी सिखाती है। यह घटना हमें अहंकार, क्रोध और अनुचित इच्छाओं के परिणामों के बारे में सचेत करती है।