Bacchon ki kahaniyan , khoya huaa Danav
खोया हुआ दानव एक करुणा और धैर्य की कहानी है। एक बार की बात है, हरे-भरे खेतों के बीच बसे एक छोटे से गाँव में, दो पक्के मित्र रहते थे, स्मार्टी केशु और टॉम। उनकी दोस्ती बहुत मजबूत थी और वे हर दिन एक साथ बिताते थे, अपने प्यारे गाँव के बाहर खुल्ले मैदानों में खेलते,जंगलों में घूमा करते थे। एक प्यारी शाम, जब डूबता हुआ सूरज आसमान को सुनहरे रंगों में रंग रहा था, स्मार्टी केशु और टॉम गाँव के मैदान में मस्ती कर रहे थे, उनकी हंसी हल्की हवा में गूंज रही थी। उनके साथ उनका वफादार कुत्ता साथी सिल्की भी था, जो एक सफ़ेद रोएँदार कुत्ता था। सिल्की सिर्फ़ एक पालतू जानवर से कहीं बढ़कर था। वह उनकी छोटी तिकड़ी का एक प्रिय सदस्य था, उसकी चंचल हरकतें उनके साथ बिताए हर पल को खुशियों से भर देती थीं।
उसका पसंदीदा खेल उत्साह के साथ गेंद का पीछा करना और खुशी में दुम हिलाना था। जैसे-जैसे शाम करीब आती गई और सूरज डूबता गया, मैदान को अलविदा कहने और घर लौटने का समय आ गया। दोनों बच्चे और उनका पालतू जानवर खूब मौज-मस्ती कर रहे थे। शरारती मुस्कान के साथ, स्मार्टी केशु ने आखिरी बार गेंद फेंकी और सिल्की से उसे लाने को बोला । लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था, गेंद पहले से कहीं ज्यादा तेजी से मैदान के किनारे घनी झाड़ियों के पीछे जा गिरी, सिल्की भी गेंद को पकड़ने के लिए बड़े उत्साह के साथ झाड़ियों के पीछे भागा। जब सिल्की कुछ देर इंतजार करने के बाद भी वापस नहीं आया, तो दोनों दोस्तों ने उसे खोजने के लिए घनी झाड़ियों के पीछे जाने का फैसला किया। प्यारे कुत्ते का कोई पता नहीं था। स्मार्टी केशु और टॉम घर लौटने और सिल्की के बारे में चिंतित हो गए ।
उन्होंने झाड़ियों से आगे जाने का फैसला किया । वे अपने प्यारे कुत्ते के बिना नहीं जाना चाहते थे । वे कुत्ते का नाम पुकारते गए और एक पुराने महल के सामने पहुंचे, जो सन्नाटे और मंद रोशनी में डरावना दीख रहा था ।सिल्की को पुकारते हुए वे एक दरवाजे की चरमराहट से चौंके। वहां एक छोटा सा राक्षस प्रकट हुआ। दोनों लड़कों को देखकर उसने कहा, “क्या तुम उस छोटे कुत्ते को खोज रहे हो? भाग जाओ, अब वह तुम्हें कभी नहीं मिलेगा। उसने भौंक-भौंक कर मुझे परेशान कर दिया है और मैंने उसे सजा दी है।” उसने गुस्से में दोनों दोस्तों को कमरे के एक कोने की ओर इशारा किया। वहां एक कुत्ते की धातु की मूर्ति थी। टॉम ने पूछा, “क्या तुमने उसे मूर्ति में बदल दिया है?” छोटे राक्षस ने मुस्कुराते हुए सिर हिलाया। यह देखकर टॉम और भी डर गया। उसने केशु का हाथ पकड़ कर उसे वहां से चले जाने का इशारा किया और कहा, “भागो, नहीं तो वह हमें भी मूर्ति में बदल देगा।” केशु अपने कुत्ते की हालत देखकर भी नहीं डरा।
उसने देखा कि छोटे राक्षस का पंख टूटा हुआ था और वहाँ से खून बह रहा था। राक्षस को चलने में कठिनाई महसूस करते हुए केशु ने कहा “मैं देख सकता हूँ कि तुम चलने के लिए संघर्ष कर रहे हो और तुम दुःखी लग रहे हो। मैं तुम्हारी क्या मदद कर सकता हूँ?” राक्षस के चेहरे की मुस्कान गायब हो गई और उसने गुस्से से केशु से कहा “क्या तुम डरे नहीं हो? मुझे लगता है कि तुम्हें भी सबक की ज़रूरत है। केशु ने फिर निडरता से कहा “तुम मुझे सबक सिखा सकते हो लेकिन उससे पहले मैं तुम्हारी मदद करना चाहता हूँ”। बच्चे की निडरता और दयालुता देखकर राक्षस हैरान रह गया। जब राक्षसी शक्ति हमें नियंत्रित नहीं कर पाती तो वह आत्मसमर्पण कर देती है।
उसने तुरंत कहा कि मैं रास्ता भूल गया हूँ और घर जाना चाहता हूँ लेकिन मेरा पंख टूट गया है। उसने बताया कि वह तैरकर भी नदी पार नहीं कर सकता। उसे नदी पार करने का कोई रास्ता ढूँढना होगा। उसने कहा, “मैंने देखा कि कुछ लोग एक नुकीली चीज पर तैर रहे थे और मैंने भी ऐसी ही संरचना बनाई थी, लेकिन वह डूब जाती है।” केशु ने कहा, “इसे नाव कहते हैं।” छोटे राक्षस ने गुस्से में कहा, “तुम उसे कुछ भी कह सकते हो लेकिन दोनों बार वह डूब तो गई न।” यह कहते हुए उसने दोनों दोस्तों को महल के पीछे पड़ी दो छोटी नावें दिखाईं जो किनारे पर डूबी हुई थीं।उन नावों को देखकर स्मार्टी केशु जोर से हँसा और बोला, “अरे यार, तुम्हारी नाव भी धातु की ही बनी है, सोने और चाँदी की”। हमारे गाँव का एक छोटा बच्चा भी बता सकता है कि केवल हल्की वस्तु ही पानी पर तैर सकती है।” टॉम भी अब सामान्य हो गया और मुस्कुराते हुए उसने एक लकड़ी के लट्ठे की ओर इशारा किया। छोटे राक्षस ने लट्ठे पर जादू किया और अगले ही पल लकड़ी की नाव तैयार होकर पानी पर तैरने लगी।
छोटा शैतान खुशी से उछल पड़ा। उसे यकीन था कि अब वह घर जा सकता है। उसने अपने दोनों नए दोस्तों को प्यार से गले लगाया और तुरंत सिल्की को उसके असली रूप में बदल दिया। अलविदा कहते हुए, उसने अपने दोनों नए दोस्तों को डूबी हुई सोने और चांदी की नावें उपहार में दीं। बच्चे सुरक्षित घर लौट आए, यह सीखते हुए कि दयालुता और धैर्य बाधाओं को दूर कर देती है।